मजबूरन भ्रष्टाचार के कुंभ से निकलने के लिए मेरे पास इस्तीफे के अलावा दूसरा चारा नहीं था:गौरव गोयल,पूर्व मेयर

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मजबूरन भ्रष्टाचार के कुंभ से निकलने के लिए मेरे पास इस्तीफे के अलावा दूसरा चारा नहीं था:गौरव गोयल,पूर्व मेयर

 

रुड़की।निवर्तमान मेयर गौरव गोयल ने प्रेसवार्ता में कहा नगरवासियों के लिए सेवा न कर पाने की बात का दर्द छलका,वहीं उन्होंने पत्रकारों के समक्ष नगर में हो रहे घोटालों की विस्तार से जानकारी दी।अपनी प्रेसवार्ता में गौरव गोयल ने सबसे ज्यादा आरोप नगर विधायक प्रदीप,दो पूर्व नगर निगम अधिकारी नूपुर वर्मा व चंद्रकांत भट्ट पर सीधे तौर पर आरोप लगाए,इसके साथ ही उन्होंने कई पार्षदों मुख्य रूप से चंद्रप्रकाश बाटा,विवेक चौधरी,धीरज पाल,बेबी खन्ना,कुलदीप तोमर,संजीव तोमर व राकेश गर्ग पर भी आरोपों की झड़ी लगाई।कहा की उन्होंने नगर निगम द्वारा विकास कार्यों को रोकने का प्रयास किया,जबसे उन्होंने कार्यभार संभाला तो उनके पराजित प्रत्याशी मयंक गुप्ता व नगर विधायक प्रदीप बत्रा ने मिलकर पूर्व अधिकारियों द्वारा कर्मचारियों एवं मेरा अप्रत्यक्ष रूप से उत्पीड़न और अपनी मनमानी के द्वारा नगर में घोटाले किए गए,जिसकी जांच मैंने कराने के लिए संबंधित अधिकारियों को समय-समय पर पत्र लिखे।गौरव गोयल ने पहली बार खुलकर नगर निगम में हुए भ्रष्टाचार का विस्तृत ब्यौरा प्रस्तुत किया,जिसमें विधायक तथा दोनों अधिकारियों को कटघरे में खड़ा किया।उन्होंने कहा यह सब बातें आज मीडिया के माध्यम से इसलिए उजागर कर रहा हूं,ताकि जनता को पता चल सके।रुड़की नगर का विकास बाधित करने वाले इन नेताओं को जनता आगामी चुनाव में भी सबक सिखाएगी।गौरव गोयल ने कहा कि वह एक खानदानी परिवार से संबंध रखते हैं और जो उन्होंने अपना शपथ-पत्र चुनाव के समय अपनी आय का प्रस्तुत किया था,उसमें से एक पैसे की बढ़ोतरी नहीं की,बल्कि मेरी दो संपत्ति कम हुई और पैंतालीस लाख की संपत्ति मैंने सोलानी नदी शमशान घाट का मैंने दान की,इसे भी नगर की जनता जानती है,जबकि नगर विधायक प्रदीप बत्रा की आमदनी आज सौ गुना बढ़ गई है जो रिकॉर्ड है।

उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलकर इन तमाम घोटालों की और आय से अधिक संपत्ति की जांच कराएंगे।गौरव गोयल ने वार्ता कर खुले रूप से अपनी संपत्ति के घटने तथा भाजपा विधायक प्रदीप बत्रा और अन्य नेताओं की बढ़ती हुई आमदनी पर भी सवाल उठाए।साथ ही साथ पूर्व निगम अधिकारियों नूपुर वर्मा व चंद्रकांत भट्ट की आय की जांच की भी मांग की।उन्होंने इसके अलावा नगर में बनाई गई सड़कों की जांच आईआईटी से कराए जाने के संबंध में विस्तृत ब्यौरा पेश किया,जिस पर नगर विधायक प्रदीप बत्रा व अधिकारियों की सांठगांठ से लीपापोती की गई।गौरव गोयल ने कहा कि सक्रिय राजनीति से वे अभी दूर रहेंगे,लेकिन नगर की जनता ने जो तीस हजार वोट देकर उन्हें अपना भारी बहुमत दिया था,उसके फल स्वरूप नगर की हर समस्या के लिए हर समय तत्पर रहेंगे और समय-समय पर विभिन्न सेवा कार्यों में अपना योगदान देते रहेंगे।

उन्होंने कहा कि मजबूरन इस भ्रष्टाचार के कुंभ से निकलने के लिए त्यागपत्र के अलावा मेरे पास और कोई रास्ता नहीं था।मैंने अपने घनिष्ठ मित्रगणों,शुभचिंतकों से पूछ कर ही यह कदम उठाये।गौरव गोयल ने खुलकर नगर विधायक प्रदीप बत्रा,मयंक गुप्ता व पूर्व दोनों अधिकारियों पर जो आरोप लगाऐ,उससे यह साबित होता है कि भविष्य में वह लड़ाई और तेज करेंगे तथा नगर की जनता को वास्तविकता से अवगत कराने के लिए प्रयत्नशील रहेंगे।उन्होंने घोटालों की विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि विधायक प्रदीप बत्रा द्वारा अपने सत्रह वर्षों के कार्यकाल में लगभग सवा सौ करोड रुपए रुपए की चेयरमैन या विधायक निधि से कार्य करें परंतु एक भी कार्य एक प्रतिशत रेट्स में नहीं कराया गया, इससे अपने चहेते ठेकेदारों को पानी देकर भारी लाभ कमाया इसके विपरीत नगर निगम रुड़की में मेरे द्वारा जितने भी टाइम पर किया जाए वह सब 35 से 45 प्रतिशत बिलो रेट्स में 50 करोड़ के कार्य मात्र 30 करोड में कराया और सरकार की 20 करोड़ की बचत कराई।आज प्रदीप बत्रा ने अपने कार्यकाल में संपत्ति को 100 गुना बढ़ा दिया है। जबकि उनके चार वर्ष में मेयर रहते 10% संपत्ति कम हुई। विधायक के घर पर एक बार पानी आया तो उन्होंने एमपी के नियमों के विरुद्ध जाकर अगले दिन नाला खुदवा दिया,जबकि पुरानी तहसील,अंबर तालाब,गुलाब नगर,कृष्णा नगर,साउथ सिविल लाइन सहित नगर के विभिन्न इलाकों में जलभराव से निपटने के लिए कोई कार्य नहीं किया।

नगर निगम में हस्तक्षेप के चलते उनके द्वारा सभी कर्मचारियों और अधिकारियों में भय का वातावरण पैदा किया गया। शहर की दर्जनों संपत्तियां भेजी गई जिनकी पिचहतर हजार रुपए की रसीद काटी गई और उनसे भारी वसूली की गई,जिस पर रामनगर के दुकानदारों में बैनर लगाकर विधायक प्रदीप बत्रा का पुरजोर विरोध किया।उन्होंने बताया कि पुर वर्मा द्वारा राज्य ऑडिट रिपोर्ट वर्ष 20-21 व 2022 मैं भारी भ्रष्टाचार और अनियमितताएं पाई गई उनके द्वारा बारह करोड़ की एजेंसी वर्क अपने चाहते ठेकेदारों को दिए गए।निगम के पैसे का बंदरबांट किया गया।चार-पांच वर्षों से यह अधिकारी अपने गृह जनपद में जमे हुए हैं। उन्होंने बताया कि गम में कई पार्षद स्वयं ठेकेदारी कर रहे हैं,जिन्हें अप्रत्यक्ष रूप से पूर्व अधिकारियों द्वारा भरपुर संरक्षण किया गया।इन पार्षदों द्वारा किसी भी बोर्ड बैठक में ना तो मुद्दों पर चर्चा की गई और ना ही नगर के विकास के लिए प्रस्ताव को पारित किया गया,जिससे आज नगर का विकास अवरुद्ध हो गया।नगर की विभिन्न सड़कें बेहद खराब हैं।जलभराव से लोगों मैं त्राहि-त्राहि मची हुई है।इन सब विरोध के चलते इस पद पर रहते हुए अपने घोषणा पत्र में दिया गया वायदे को वह पूरा नहीं कर सके,जिस का मलाल उन्हें हमेशा रहेगा।

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