कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता ने आंकड़ों के साथ रखी अपनी बात

newsadmin

देहरादून। उत्तराखंड में स्वास्थ्य सेवाओं के नाम पर प्रति व्यक्ति प्रति दिन औसत मात्र 5 रुपये 38 पैसे खर्च किये जा रहे हैं। 2017 से 2019 के बीच (तीन वर्ष की अवधि) जहां अरुणाचल प्रदेश, सिक्किम में 20,000 रुपये से अधिक प्रति व्यक्ति खर्च किये गये वहीं उत्तराखंड में सबसे कम प्रति व्यक्ति मात्र 5,887 रुपये खर्च किये गये।
गुरुवार को राजीव भवन में आयोजित पत्रकार वार्ता में कांग्रेस के राष्ट्रीय प्रवक्ता गौराव वल्लभ ने राज्य की भाजपा सरकार पर यह आरोप लगाए। उन्होनें कहा कि उत्तराखंड में मरीजों को समय पर एंबुलेंस न मिलने, उपचार की कमी, डॉक्टरों की अनुपलब्धता, जांच के उपकरणों का आभाव और कई अन्य कारणों के चलते अपनी जान से हाथ धोना पड़ रहा है। उत्तराखंड में राज्य सकल घरेलु उत्पाद (जीएसडीपी) का स्वास्थ्य सेवाओं में मात्र 1.1 प्रतिशत खर्च किया जाता है। 50 से 60 किमी क्षेत्र में करीब 20 से अधिक गांवों की 10,000 से 12,000 की आबादी के लिए मात्र एक स्वास्थ्य केंद्र है, और वहां पर भी अधिकतर स्वास्थ्य केंद्रों में एक्सरे, अल्ट्रासाउंड और विशेषज्ञ डॉक्टरों की सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसका नतीजा ये हुआ कि राज्य में शिशु मृत्यु दर 31 (प्रति 1000 जन्म लेने वाले बच्चों में 31 की मौत हो जाती है) है, जबकि अन्य पड़ोसी राज्यों में यह आंकड़ा 19 है। इस मौके पर प्रदेश मीडिया प्रभारी राजीव महर्षि व गरिमा महरा दसोनी आदि मौजूद रहे।

कैसे होगा इलाज, जब स्वास्थ्य विभाग में ही 8,242 पद खाली
देहरादून। राज्य के स्वास्थ्य विभाग में कुल 24,451 राजपत्रित व अराजपत्रित पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 8,242 पद रिक्त हैं, जो कुल स्वीकृत पदों का 34 प्रतिशत है। ग्रामीण क्षेत्रों में कुल 1,839 स्वास्थ्य उपकेंद्र हैं, जिनमें से 543 उपकेंद्रों के पास अपनी बिल्डिंग तक नहीं है। 56 सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के कुल 236 पद स्वीकृत हैं, इनमें 204 पद रिक्त हैं जो कुल स्वीकृत पदों का 86 प्रतिशत है। यही हाल नर्सिंग स्टाफ, लैबोरेट्री टेक्नीशियन का भी है। सरकारी अस्पतालों में विशेषज्ञ डॉक्टरों के कुल 1147 पदों में से 654 पद रिक्त हैं। यानी स्वीकृत पदों के मात्र 43 प्रतिशत विशेषज्ञ डॉ. ही सरकारी अस्पतालों में नियुक्त हैं। वर्ष 2014-2015 में राज्य सरकार चिकित्सा एवं परिवार कल्याण पर कुल खर्च का 5.5 प्रतिशत आवंटित करती थी, वहीं 2019-2020 व 2020-2021 में यह राशि घटा कर कुल खर्च की 4 प्रतिशत कर दी गयी। उत्तराखंड बालक-बालिका के अनुपात के मामले में डबल इंजन की धुंआ छोड़ू सरकार में देश का सबसे पिछड़ा राज्य हो चुका है, जहां यह अनुपात 1000 बालकों पर 840 बालिकाओं का है। इसलिए हमने ये प्रतिज्ञा ली है कि हर गांव हर द्वार उचित स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया करायेंगे, जिसके लिए नियमित टेली मेडिसिन स्वास्थ्य सुविधाओं की शुरुआत की जायेगी। बाइक एंबुलेंसों का व्यापक स्तर पर प्रयोग किया जायेगा।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

भाजपा ने टिहरी सीट से किशोर व डोईवाला सीट से दिप्ति को घोषित किया प्रत्याशी

देहरादून। भाजपा ने डोईवाला और टिहरी सीट पर प्रत्याशियों की घोषणा कर दी है। टिहरी में जहां कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को टिकट दिया गया है। वहीं डोईवाला में पार्टी ने दीप्ति रावत को मैदान में उतारा है। गुरुवार सुबह किशोर उपाध्याय के भाजपा में शामिल होने के साथ […]

You May Like