नई दिल्ली। पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को करारी शिकस्त का सामना करना पड़ा। जिसके बाद पार्टी की अंतरिम अध्यक्षा सोनिया गांधी समेत तमाम नेताओं ने कांग्रेस कार्यसमिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में हार के कारणों पर विस्तृत चर्चा की। इस दौरान सोनिया गांधी ने इमोशनल कार्ड खेलते हुए अपने परिवार को पार्टी से अलग करने की पेशकश की। जिसकी वजह से नेतृत्व को मजबूत करने के उठ रही मांगें फीकी पड़ गईं। सीडब्ल्यूसी की बैठक में सोनिया गांधी ने कहा कि हम पार्टी के हित में किसी भी त्याग के लिए तैयार हैं। जिसके बाद सीडब्ल्यूसी में शामिल नेताओं ने उनके नेतृत्व पर भरोसा जताते हुए उनसे अनुरोध किया कि संगठनात्मक चुनाव होने तक वह पद पर बनी रहें। सीडब्ल्यूसी में कांग्रेस नेताओं ने कहा कि पार्टी को मजबूत बनाने के लिए सोनिया गांधी जरूरी बदलाव करें और सुधारात्मक कदम उठाएं। बैठक में फैसला किया गया कि संसद के बजट सत्र के समाप्त होने के तुरंत बाद एक चिंतन शिविर का आयोजन किया जाएगा जिसमें पार्टी का आगामी भविष्य तय होगा और विस्तृत रणनीति बनेगी। सोनिया गांधी ने सीडब्ल्यूसी से कहा कि अगर उनके परिवार के हटने से पार्टी मजबूत होती है तो वो राहुल गांधी और प्रियंका गांधी के साथ कांग्रेस छोड़ने के लिए तैयार हैं। सोनिया गांधी के पद छोड़ने की महज बातों से ही बैठक में सन्नाटा पसर लगा और जी-23 समूह में शामिल गुलाम नबी आजाद ने श्ना, नाश् करने यह प्रस्ताव खारिज कर दिया। जिसके बाद फैसला हुआ कि संगठनात्मक चुनाव होने तक सोनिया गांधी पद पर बनी रहेंगी।