शिमला। नेशनल हाईवे निर्माण की स्पीड लिमिट तय हो गई है। अब 50 किलोमीटर प्रतिदिन के हिसाब से एनएच का निर्माण करना होगा। राष्ट्रीय परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय की ओर से यह आदेश एनएचएआई को जारी हुए हैं। इन आदेशों में इस साल 18 हजार किलोमीटर का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। नए आदेशों का असर हिमाचल में खास तौर पर देखने के लिए मिलेगा। प्रदेश में इस समय एक साथ कई नेशनल हाईवे को फोरलेन में बदलने का कार्य चल रहा है। यह कार्य चरणों में बांटा गया है, लेकिन अभी तक इन हाईवे के निर्माण में देरी होने के मामले सामने आते रहे हैं। इसमें सबसे बड़ा मामला कालका-शिमला नेशनल हाईवे पर सामने आया है। यहां परवाणू से सोलन तक के हिस्से का निर्माण पूरा होने में तय समय गुजर चुका है। इस हिस्से के निर्माण को पूरा करने के लिए एनएचएआई लगातार समय बढ़ाती रही है। हालांकि एनएच की निर्माता कंपनी ने बरसात के दिनों में इस स्मारक पर परवाणू से धर्मपुर के बीच लगातार भू-स्खलन को देरी के लिए जिम्मेदार बताया था। इसके अलावा दो जगह यह मार्ग धंस चुका है। इसके साथ ही इसी नेशनल हाईवे के अंतिम हिस्से कैंथलीघाट से शिमला का निर्माण भी शुरू नहीं हो पाया है। इसके साथ ही शिमला-मटौर नेशनल हाईवे के पांच चरणों में से अभी तक एक चरण का निर्माण शुरू हो पाया है। यह निर्माण पांचवें चरण से शुरू हुआ है। कीरतपुर-मनाली नेशनल हाईवे का निर्माण भी कई चरणों में चल रहा है। वहीं, पिंजौर-नालागढ़ नेशनल हाईवे का निर्माण भी 31 किलोमीटर में होना है। इसमें 18 किलोमीटर का हिस्सा हिमाचल में है, जबकि 13 किलोमीटर का हिस्सा हरियाणा में है। इसके निर्माण पर करीब 761 करोड़ रुपए खर्च होने हैं