मुजाहिद अली
सितारगंज। अपनी मांगों को लेकर आशा कार्यकत्रियां पिछले 2 अगस्त से हड़ताल पर बैठी है। लेकिन सरकार की तरफ से अभी तक आशाओं की समस्याओं के निदान को कोई सकारात्मक पहल नहीं की गई है।
आशाओं का कहना है कि उत्तराखण्ड राज्य की भाजपा सरकार बिल्कुल संवेदनहीन बनकर मूक दर्शक की तरह तमाशा देख रही है। कल 21 अगस्त (शनिवार) को हड़ताल के बीस दिन पूरे हो रहे हैं। लेकिन आशाओं के इतने लंबे व कठिन संघर्ष के बाद भी सरकार मासिक वेतन तो छोड़िए मानदेय फिक्स करने तक को तैयार नहीं है। अब आशाएं 21 अगस्त को राज्य में सभी जगहों पर जहां जहां धरने चल रहे हैं। वहां धरना स्थल पर इकट्ठा होकर सरकार को चेतावनी देने के लिए ‘चेतावनी रैली’ निकाली जायेगी। यदि उसके बाद भी राज्य सरकार मासिक मानदेय को लेकर कोई सकारात्मक घोषणा नहीं करती है तो आंदोलन को और तेज़ करते हुए आंदोलन के विभिन्न लोकतांत्रिक तरीकों को अपना कर आंदोलन को आगे बढ़ाया जाएगा।
रैली कोविड गाइडलाइंस के तहत शारीरिक दूरी का ध्यान रखते हुए मास्क पहनकर निकाली जाएगी। ऐक्टू से संबद्ध उत्तराखण्ड आशा हेल्थ वर्कर्स यूनियन द्वारा जारी बयान में कहा गया कि, आशाओं के प्रति उत्तराखण्ड की राज्य सरकार रवैया क्षोभजनक है। कई कई बार आशाओं के प्रतिनिधिमंडल राज्य के मुख्यमंत्री समेत स्वास्थ्य मंत्री, स्वास्थ्य सचिव, स्वास्थ्य महानिदेशक, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की निदेशक से मिलकर अपना पक्ष रख चुके हैं। कई दौर की वार्ता हो चुकी है और हर बार आशाओं की मांगों को लेकर सहमति जताने के बावजूद राज्य सरकार द्वारा किसी भी फैसले पर न पहुँचना क्या प्रदर्शित करता है? यही कि सरकार केवल बातों से आशाओं को बहलाना चाहती है और उनकी मासिक वेतन की प्रमुख मांग सहित अन्य मांगों को हल करने की सरकार की कोई मंशा ही नहीं है। यह सरकार फैसला लेने में देर करके आशाओं को उकसाने का काम कर रही है। लेकिन आशाओं का आंदोलन शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक तरीकों से ही चलेगा। इसीलिए आशाओं ने हड़ताल के बीस दिन पूरे होने पर 21 अगस्त को ‘चेतावनी रैली’ निकालने का निर्णय लिया है।
वहीं आम आदमी पार्टी के विधानसभा प्रभारी अजय जायसवाल ने कहा कि सरकार आशाओं की मांगों को अनसुना कर रही है। आशाओं को हड़ताल पर गए 20 दिन हो गए हैं उनकी मांगों पर शीघ्र विचार किया जाना चाहिए।
इस दाैरान ब्लॉक अध्यक्ष मंजू देवी समरीन सिद्दीकी मोबीन दीपा राणा समीना फूलमती बबीता यासमीन मोहिनी मीना परवीन संध्या राणा दर्जनों आशा कार्यकत्री मौजूद रहे।