देहरादून। इस साल के लिए पद्म पुरस्कारों का ऐलान कर दिया गया है। इसमें देश के पहले चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत को भी मरणोपरांत पद्म विभूषण से सम्मानित करने का ऐलान किया गया है। जनरल रावत का पिछले साल आठ दिसंबर को तमिलनाडु में एक हेलिकॉप्टर हादसे में निधन हो गया था। पद्म विभूषण भारत सरकार की ओर से दिया जाने वाला दूसरा सर्वाेच्च नागरिक सम्मान है।
उत्तराखंड के पौड़ी गढ़वाल में जन्मे बिपिन रावत के पिता लक्ष्मण सिंह रावत भी सेना में लेफ्टिनेंट जनरल थे। उन्होंने शिमला के सेंट एडवर्ड स्कूल और राष्ट्रीय रक्षा अकादमी खड़गवासला से पढ़ाई की थी। दिसंबर 1978 में उन्हें भारतीय सैन्य अकादमी से गोरखा रायफल्स की पांचवीं बटालियन में नियुक्ति दी गई थी। यहां पर शानदार प्रदर्शन करने के लिए उन्हें स्वॉर्ड ऑफ ऑनर से भी सम्मानित किया गया था।
जनरल बिपिन रावत को 31 दिसंबर 2019 को देश के पहले सीडीएस की जिम्मेदारी दी गई थी। सीडीएस का पद दिए जाने से पहले वह थल सेना के 27वें अध्यक्ष थे। एक सितंबर 2016 को उन्हें सेना का उप प्रमुख बनाया गया था। उन्होंने तीनों सेनाओं की क्षमताएं बढ़ाने में अहम योगदान दिए। जनरल रावत की पत्नी मधूलिका रावत भी सेना से जुड़ी हुई थीं। वह आर्मी वूमेन वेलफेयर एसोसिएशन की अध्यक्ष थीं। बता दें कि आठ दिसंबर को तमिलनाडु में बुधवार को खराब मौसम के चलते भारतीय वायु सेना का एमआई-17 हेलिकॉप्टर हादसे का शिकार हो गया। इस हेलिकॉप्टर में चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) बिपिन रावत और उनकी पत्नी मधूलिका रावत समेत कुल 14 लोग सवार थे। नीलगिरि और तमिलनाडु के बीच कुन्नूर के जंगल में हुई इस दुर्घटना में हेलिकॉप्टर में सवार सभी लोगों की जान चली गई थी। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ की भूमिका में जनरल बिपिन रावत देश की तीनों सेनाओं के एक साथ मिलकर काम करने की क्षमताओं पर काम कर रहे थे। सेना के तीनों अंगों के आधुनिकीकरण के क्षेत्र में भी उन्होंने अहम भूमिका निभाई थी। इस साल पद्म विभूषण सम्मान पाने वालों में जनरल रावत के अलावा, भाजपा के दिवंगत नेता कल्याण सिंह, राधेश्याम खेमका (मरणोपरांत) और प्रभा अत्रे का नाम शामिल है।