देहरादून। निर्वाचन आयोग ने पोस्टल-बैलेट्स की व्यवस्था की थी लेकिन इस सुविधा से वंचित रह गए बुजुर्गों में भी मतदान को लेकर खासा उत्साह देखा गया। कहीं बुजुर्ग मतदाताओं को ग्रामीण कुर्सी व पीठ पर बैठाकर पोलिंग बूथ तक पहुंचे तो कहीं लाठी का सहारा लेकर बुजुर्ग मतदान करने के लिए पहुंचे। ऋषिकेश के पुष्कर मंदिर मार्ग, माई बाड़ा निवासी 96 वर्षीय सोना देवी ने परिजनों के साथ देहरादून रोड प्राथमिक विद्यालय मतदान केंद्र पहुंच कर वोट डाला। वहीं टिहरी जनपद के चंबा के ग्राम पंचायत जड़धार गांव के मतदान केंद्र पर 97 वर्षीय बुजुर्ग जबर सिंह ने अपना वोट डाला। बुजुर्ग पैदल चलने में असमर्थ थे और मतदान करना चाहते थे। जिस पर गांव वालों ने उन्हें कुर्सी पर बैठाकर करीब पांच सौ मीटर दूर पोलिंग बूथ तक पहुंचाया। इस गांव के एक अन्य बुजुर्ग 92 वर्षीय सुंदर सिंह ने उन्हें भी परिजन सहारा देकर बूथ तक लाए। इसी तरह कई अन्य जगहों पर मतदान से छूट गये बुजुर्गों को सहारा देकर पोलिंग बूथ तक पहुंचाया गया। नकोट मतदान केंद्र पर 90 साल की गुंद्री देवी लाठी का सहारा लेकर मतदान करने पहुंची। उन्होंने कहा कि मतदान का प्रयोग सभी को करना चाहिए। पाटा मतदान केंद्र पर वोट देने पहुंची बुजुर्ग महिला मासंती देवी ने कहा कि उन्होंने जब से होश संभाला तब से हर बार वोट दिया है। अभी भी उन्होंने वोट देना नहीं छोड़ा। इन बुजुर्गों ने लोकतंत्र के इस पर्व पर अपने मत का प्रयोग कर एक ओर जहां मतदान जागरूकता का संदेश दिया वहीं उन लोगों को एक आईना भी दिखाया जो मतदान के दिन घर बैठकर बहाने बनाये करते हैं। पहली बार मतदान को लेकर युवाओं में उत्साह था। अधिकतर बूथों पर युवा मतदान करने के बाद अपनी तस्वीरें भी लेते देखे गए। युवाओं का कहना था कि मतदान प्रक्रिया में अधिक से अधिक युवा मतदाताओं को भागीदार बनना होगा। ताकि सही जन प्रतिनिधि के चयन में भागीदारी हो।
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Mon Feb 14 , 2022