नैनीताल। उत्तराखंड हाईकोर्ट ने बुधवार को देहरादून के अधिवक्ता राजेश सूरी की हत्या के मामले पर सुनवाई की। खंडपीठ ने एसआईटी की अध्यक्ष विशाखा अशोक को 16 मार्च तक जांच रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने के निर्देश दिए हैं। अगली सुनवाई 16 मार्च को होगी। बुधवार को हुई सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं ने कोर्ट को बताया कि राजेश सूरी ने अपनी हत्या से पहले एक सील बंद लिफाफा एडीएम फाइनेंस को भेजा था, जिसका राज आज तक नहीं खुला और लिफाफा आज भी सील है। इसकी शीघ्र जांच कराई जाए। एसआईटी अध्यक्ष विशाखा अशोक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से कोर्ट में पेश हुईं। उन्होंने कोर्ट को बताया कि एसआईटी को राजेश सूरी की हत्या के मामले में एक सील बंद लिफाफा मिला, जिसकी अभी जांच होनी है। इसलिए उन्हें रिपोर्ट पेश करने के लिए समय दिया जाए। सुनवाई कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश संजय कुमार मिश्रा व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ में हुई। देहरादून निवासी अधिवक्ता राजेश सूरी की बहन रीता सूरी व राजकुमार सूरी ने मामले में याचिका दायर की है। इसमें कहा है कि अधिवक्ता राजेश सूरी की हत्या 30 नवंबर 2014 को हुई थी। राजेश सूरी नैनीताल हाईकोर्ट से घोटालों से संबंधित केसों की पैरवी करके ट्रेन से देहरादून वापस आ रहे थे। उनको जहर देकर ट्रेन में ही मार दिया गया था और राजेश की सभी महत्वपूर्ण फाइलें ट्रेन से ही गायब हो गई थीं। मौके पर केवल कपड़ों से भरा बैग मिला था। इसके बाद एसआईटी ने इस मामले की दो बार जांच की, लेकिन जांच पूरी नहीं हुई। आरोप है कि पुलिस पूरे मामले में भूमाफिया के साथ मिली हुई है। राजेश की बहन रीता सूरी का यह भी कहना है कि देहरादून के कई भ्रष्टाचार के मामलों में राजेश ने घोटाले उजागर किए थे। इसकी वजह से भूमाफिया उनके पीछे पड़ गए थे और चलती ट्रेन में उनकी हत्या कर दी गई।