देहरादून। प्रदेश सरकार चार धाम यात्रा की पुख्ता तैयारियों का लगातार ढोल पीट रही है, लेकिन यात्रा के शुरुआती दिनों में सरकारी मशीनरी की पोल खुल गई है। आधी-अधूरी तैयारियों की वजह से तीर्थ यात्रियों को जहां अव्यवस्थाओं से जूझना पड़ रहा है, यात्रा के पहले ही दिन से पंजीकरण को लेकर गफलत की स्थिति बनी हुई है। केदारनाथ धाम में यात्रियों के रुकने के पर्याप्त इंतजाम नहीं किए गए हैं। धाम में श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ने के बाद यदि उन्हें दूसरे स्थानों पर रोकना पड़ा, तो उनके रुकने का क्या इंतजाम होगा। इस पर अफसरों ने कभी ध्यान ही नहीं दिया। अब जब ये सभी दिक्कतें एक साथ सामने आ गई हैं, तो सरकारी मशीनरी के हाथ पांव फूले हुए हैं। केदारनाथ धाम में रात में ठहरने के लिए सिर्फ पांच हजार लोगों की व्यवस्था है।
इसके बाद भी इंतजाम नहीं बढ़ाए गए। यहां धाम में श्रद्धालुओं के आने की संख्या 13 हजार तय की गई है, जबकि श्रद्धालु 18 हजार के करीब आ रहे हैं। केदारनाथ धाम में श्रद्धालु खुले में सोने को मजबूर हैं। पांच हजार बेड क्षमता वाले केदारनाथ धाम में 18 हजार के करीब श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। यहां न तो प्रशासन, न पर्यटन विभाग ने बेड संख्या बढ़ाने का प्रयास किया। पूरा का पूरा दबाव जीएमवीएन के ऊपर डाला गया। जीएमवीएन ने भी अपनी बेड क्षमता को बढ़ा कर तीन हजार तक पहुंचाया। इसके बाद भी ये तमाम इंतजाम नाकाफी साबित हो रहे हैं। धाम और यात्रा रुट पर कैसे क्राउड मैनेजमेंट किया जाएगा, इसकी भी कोई तैयारी नहीं की गई। सरकार ने तीर्थयात्रियों के पंजीकरण को अनिवार्य किया है, लेकिन इस पर अमल नहीं किया। बिना पंजीकरण के भी बड़ी संख्या में लोग आते चले गए। अब जब बिना पंजीकरण वालों को रोका जा रहा है, तो ऐसे लोगों के रुकने की कहां व्यवस्था होगी, इसका कोई इंतजाम नहीं है। अब सरकार ने पोर्टल में ही पंजीकरण के लिए सीमित संख्या कर दी तो उन तीर्थयात्रियों की परेशानी बढ़ गई, जिन्होंने चारधाम पड़ाव पर पहले होटल या फिर हेली सेवा बुक कर दी थी। दूर-दराज के विभिन्न प्रांतों से आ रहे इन तीर्थयात्रियों को ऋषिकेश में ही रोका जा रहा है। जिससे यात्रियों की फजीहत हो रही है।