विजयादशमी या दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाने की परंपरा

newsadmin

असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है विजयादशमी : विकास गर्ग राष्ट्रीय अध्यक्ष नरेंद्र मोदी सेना सभा

देहरादून। हिंदूवादी संगठन नरेंद्र मोदी सेना सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास गर्ग ने आज दशहरा पर्व पर देश व प्रदेश वासियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा देशभर में विजयादशमी और दशहरा का त्योहार हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है। यह असत्य पर सत्य की जीत का प्रतीक है। इस दिन सुबह में शस्त्र पूजा की जाती है।यह शस्त्र मां दुर्गा की शक्ति का प्रतीक होते हैं, जिनका उद्देश्य सत्य और धर्म की रक्षा करना है। आज विजयादशमी के अवसर पर शाम के समय में रावण का दहन करते हैं और खुशियां मनाते हैं। देशभर में दशहरा के मेले का आयोजन होता है। इस दिन बच्चे, बड़े, बुजुर्ग, महिलाएं सभी नए कपड़े पहनते हैं और इस त्योहार का उत्सव मनाते हैं। दशहरा के अवसर पर शमी के पेड़ की पूजा करने की भी परंपरा है. जहां जहां पर मां दुर्गा की प्रतिमाएं रखी गई हैं, वहां वहां पर दुर्गा विसर्जन का कार्यक्रम भी आयोजित होगा।

विकास गर्ग ने कहा हिंदू धर्म में विजयादशमी या दशहरा बुराई पर अच्छाई की जीत के प्रतीक के रूप में मनाने की परंपरा वर्षों से चली आ रही है. मान्यता के अनुसार, इस दिन श्री राम ने अत्याचारी रावण का वध किया था। उसके बाद से लोग प्रत्येक वर्ष आश्विन मास के शुक्ल पक्षम की दशमी तिथि को वजयादशमी मनाते हैं. इस दिन रावण, कुंभकर्ण और मेघनाथ का पुतला जलाया जाता है।

नरेंद्र मोदी सेना सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष विकास गर्ग ने आगे कहा
दुर्गा नवमी के अगले दिन विजयादशमी पड़ता है. यह पर्व लंका के राजा रावण पर श्री राम की जीत का प्रतीक है।रावण के दस सिर दस तरह की बुराइयों को दर्शाते हैं. वासना, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, लोभ, भय, जड़ता, घृणा, घमंड, क्रोध को दर्शाता है रावण के ये दस सिर. दशहरा शब्द संस्कृत शब्द दशा और हारा से मिलकर बना है। दशा का मतलब होता है दस, जो रावण का प्रतिनिधित्व करता है और हारा का मतलब है हार जाना. राम भगवान ने रावण के घमंड को जड़ से उखाड़ फेका था और उसे युद्ध में मात दी थी. साथ ही इस दिन मां दुर्गा ने भी राक्षस महिषासुर का वध किया था।

विकास गर्ग ने कहा सिर्फ श्रीराम से ही नहीं, इनसे भी हारा था रावण
रामायण के अनुसार, श्रीराम ने राणव को तो युद्ध में हराया ही था, इसके अलावा रावण चार अन्य योद्धाओं से भी युद्ध में पराजित हुआ था. पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार घमंडी रावण कैलाश पर्वत पर शंकर भगवान से युद्ध करने जा पहुंचा और अपनी ताकत के बल पर कैलाश पर्वत को उठाने लगा. लेकिन, भोलेनाथ ने सिर्फ अंगूठे से ही कैलाश पर्वत का भार इतना बढ़ा दिया कि रावण उसके नीचे दब गया. वानर बाली, दैत्यराज बलि, सहस्त्रबाहु अर्जुन को भी रावण ने युद्ध के लिए ललकारा था, लेकिन सभी से पराजित हो गया था।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Next Post

प्राथमिक विद्यालय में दशहरा पर्व पर किया गया रामलीला मंचन

प्राथमिक विद्यालय में दशहरा पर्व पर किया गया रामलीला मंचन सहारनपुर। प्राथमिक विद्यालय छुटमलपुर नंबर 2 में दशहरा पर्व मनाया गया शिक्षिका अंजली आर्य के निर्देशन में बच्चों के साथ रामलीला मंचन किया गया जिसमे सभी बच्चों ने उत्साह पूर्वक प्रतिभाग किया अंजली आर्य ने बताया कि जब बच्चे स्वयं […]

You May Like