मुनाफा कमा रहे पर्वतीय क्षेत्रों के सहकारी बैंक : डॉ. धन सिंह रावत

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मुनाफा कमा रहे पर्वतीय क्षेत्रों के सहकारी बैंक : डॉ. धन सिंह रावत

 

देहरादून। उत्तराखण्ड के सहकारिता विभाग के अंतर्गत जिला सहकारी बैंकों ने हाल के समय में अपनी कार्यकुशलता और नीतिगत दृष्टिकोण से सबको प्रभावित किया है। खास तौर पर राज्य के पहाड़ी जिलों में स्थित सहकारी बैंकों ने शानदार प्रदर्शन कर उल्लेखनीय लाभ अर्जित किया है। दूसरी ओर, मैदानी जिलों में सहकारी बैंकों का प्रदर्शन अपेक्षाकृत कमजोर रहा, जबकि इन क्षेत्रों में बाजार की संभावनाएं और संसाधन पहाड़ी क्षेत्रों के मुकाबले कहीं अधिक हैं।

पर्वतीय क्षेत्रों में बैंको के बेहतर प्रदर्शन का श्रेय सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत को जाता है, जिनकी दूरदर्शी नीतियों के चलते सहकारिता विभाग नये-नये आयाम गढ़ रहा है।

पर्वतीय क्षेत्रों में सहकारी बैंकों की सफलता का एक बेहतरीन उदाहरण टिहरी गढ़वाल जिला सहकारी बैंक लिमिटेड है। इस बैंक के पूर्व चेयरमैन सुभाष रमोला के कुशल नेतृत्व में यह बैंक राज्य के 11 जिला सहकारी बैंकों की तुलना में न केवल आगे बढ़ा, बल्कि एक मिसाल भी कायम की। सुभाष रमोला के कार्यकाल में बैंक ने किसानों को बड़े पैमाने पर ऋण वितरित किए, जिससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिली। खास बात यह रही कि इन ऋणों की वसूली भी समय पर सुनिश्चित की गई, जिससे बैंक की वित्तीय स्थिति और सुदृढ़ हुई।

सहकारिता विभाग की नीतियों के तहत पहाड़ी क्षेत्रों में बैंकों ने न केवल किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की, बल्कि उनकी जरूरतों के अनुरूप योजनाएं लागू कर समग्र विकास में योगदान दिया। डॉ. धन सिंह रावत की रणनीति का असर यह रहा कि सीमित संसाधनों और चुनौतीपूर्ण भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद पर्वतीय बैंकों ने बेहतर परिणाम हासिल किए। वहीं, मैदानी इलाकों में बाजार की व्यापक संभावनाओं के बावजूद वहां के सहकारी बैंकों का प्रदर्शन अपेक्षाओं से नीचे रहा, जिसके कारणों की समीक्षा की जरूरत महसूस की जा रही है।

टिहरी गढ़वाल जिला सहकारी बैंक की उपलब्धियां इस बात का प्रमाण हैं कि सही नेतृत्व और नीतियों के बल पर विपरीत परिस्थितियों में भी सफलता हासिल की जा सकती है। सुभाष रमोला जैसे समर्पित व्यक्तित्व और सहकारिता विभाग के प्रयासों से पर्वतीय क्षेत्रों में सहकारी बैंक न केवल आर्थिक मजबूती का आधार बन रहे हैं, बल्कि ग्रामीण समुदाय के लिए उम्मीद की किरण भी साबित हो रहे हैं। यह प्रगति उत्तराखण्ड के सहकारी क्षेत्र के लिए एक नई दिशा और प्रेरणा का संकेत देती है।

11 बैंकों का संयुक्त लाभ 250 करोड़ रुपये तक पहुंचा

उत्तराखंड के सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने हाल ही में राज्य के सहकारी बैंकों की वित्तीय स्थिति के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि वर्तमान वित्तीय वर्ष में उत्तराखंड के 10 जिलों के जिला सहकारी बैंकों और राज्य सहकारी बैंक सहित कुल 11 बैंकों का संयुक्त लाभ 250 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह उपलब्धि इस बात का प्रमाण है कि राज्य के सहकारी बैंक न केवल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर रहे हैं, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सहारा देने में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।

सहकारी बैंकों की स्थिति में हुआ सुधार

डॉ. रावत ने अपने बयान में कहा कि जब उन्होंने वर्ष 2017 में सहकारिता विभाग की जिम्मेदारी संभाली थी, तब राज्य के कई जिला सहकारी बैंक घाटे में चल रहे थे। उस समय इन बैंकों की वित्तीय स्थिति चिंताजनक थी, लेकिन पिछले कुछ वर्षों में किए गए सुधारों और प्रभावी नीतियों के कारण अब सभी सहकारी बैंक लाभ की स्थिति में आ गए हैं। वर्तमान में इन बैंकों की कुल 280 शाखाएं लाभ कमा रही हैं, हालांकि 49 शाखाएं अभी भी घाटे में हैं। मंत्री ने आश्वासन दिया कि अगले दो वर्षों के भीतर इन घाटे वाली शाखाओं को भी लाभ की स्थिति में लाया जाएगा।

जिला सहकारी बैंकों का लाभ (अनुमानित आंकड़े)
विभिन्न जिलों के सहकारी बैंकों के सकल लाभ के आंकड़े इस प्रकार हैं (लाख रुपये में)

– देहरादून 1976.30 लाख रुपये
– कोटद्वार 2973.02 लाख रुपये
– चमोली 3003.93 लाख रुपये
– उत्तरकाशी 2476.20 लाख रुपये
– हरिद्वार 795.25 लाख रुपये
– यूएस नगर 2057.72 लाख रुपये
– नैनीताल 1600.00 लाख रुपये
– टिहरी 3168.26 लाख रुपये
– पिथौरागढ़ 2165.50 लाख रुपये
– अल्मोड़ा 1699.01 लाख रुपये
– राज्य सहकारी बैंक
– 3149.00 लाख रुपये

इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि टिहरी जिला सहकारी बैंक सबसे अधिक लाभ (3168.26 लाख रुपये) कमाने में सफल रहा, जबकि हरिद्वार जिला सहकारी बैंक का लाभ सबसे कम (795.25 लाख रुपये) रहा। राज्य सहकारी बैंक ने भी 3149.00 लाख रुपये का उल्लेखनीय लाभ अर्जित किया है।

सहकारी बैंकों की भूमिका

सहकारिता मंत्री डॉ. रावत ने इस बात पर जोर दिया कि जिला सहकारी बैंक राज्य सरकार की नीतियों को लागू करने और ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को वित्तीय सहायता प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये बैंक न केवल किसानों, छोटे व्यवसायियों और ग्रामीण समुदायों को ऋण और अन्य वित्तीय सेवाएं प्रदान करते हैं, बल्कि उनकी आर्थिक आत्मनिर्भरता को बढ़ाने में भी मदद करते हैं। डॉ. रावत ने कहा कि सहकारी बैंकों का यह प्रदर्शन दर्शाता है कि ये संस्थान ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों के जीवन पर सकारात्मक और गहरा प्रभाव डाल रहे हैं।

भविष्य की योजनाएं

मंत्री ने यह भी बताया कि विभाग का लक्ष्य शेष 49 घाटे वाली शाखाओं को अगले दो वर्षों में लाभकारी बनाना है। इसके लिए विभाग द्वारा नई रणनीतियां और योजनाएं तैयार की जा रही हैं। इनमें शाखाओं के प्रबंधन को बेहतर करना, वित्तीय सेवाओं का विस्तार करना और ग्रामीण क्षेत्रों में जागरूकता बढ़ाना शामिल हो सकता है।

उत्तराखंड के सहकारी बैंकों का यह वित्तीय प्रदर्शन राज्य की अर्थव्यवस्था के लिए एक सकारात्मक संकेत है। 250 करोड़ रुपये का कुल लाभ न केवल इन बैंकों की मजबूत स्थिति को दर्शाता है, बल्कि यह भी बताता है कि सहकारिता विभाग ग्रामीण विकास और वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में प्रभावी ढंग से काम कर रहा है। आने वाले वर्षों में इन बैंकों के प्रदर्शन में और सुधार की उम्मीद की जा सकती है, जो राज्य के ग्रामीण समुदायों के लिए और अधिक अवसर लेकर आएगा।

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